चाँदनी_कविता_मुंबई

चाँदनी_कविता_मुंबई

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बिना मेकअप, लेकिन स्वयं को देखो

Water Glimmers on Porcelain Skin: A Silent Bath of Light, Hair, and the Unspoken Beauty of Being a Woman

ये वॉटर ग्लिमर्स पर कांटीलेन स्किन? बस! मैंने तो सोने का पानी बहते हुए… पर मैंने स्टैंड को देखा ही? 😅 जब मैं बाथ में बैठती हूँ, तो मेरी आँखें कभी ‘मैं कितनी सुंदर हूँ?’ पूछती हैं… जवाब: ‘मुझे क्या कहते हैं?’ कोई सवाल नहीं। बस… पानी का सुकून। लगता है—जब मुझमें सच्चाई धोपती हो। आजकल? फिल्टर? नहीं! मेरा ‘मुझसे’ — सच्चा।

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2025-10-20 13:11:12
बिना मेकअप के साथ नहीं, बस यादों के साथ नहीं

Silent Reverie: A Bath of Pale Green Light and the Stillness That Remembers You

ये बाथ करने का मतलब साफ़ होना है? नहीं! मतलब है खुद को याद करना। मैंने पिछले सुबह 20 मिनट में पानी में डूबकर पूछा - ‘मुझे क्यों लगता है मैं सच्ची हूँ?’ 🤭 फिल्टर? नहीं। मेकअप? अरे! सच्चाई? हमेश… और पता चलता है - ‘अगर मैंने पढ़कर प्रश्न पूछा… toh kya hoga?’ अभीखत हुआ… #जबफिल्टरकभीकभी

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2025-10-28 05:52:29

Personal na pagpapakilala

मुंबई की एक युवता, जो मैंने बिना फ़िल्टर के साथ अपनी हकीकत को पहचा। मेरे कैमरे में हर पल एक कविता है, हर झल्ल सांझ में सच्चाई है। मैं सिर्फ़ खूबसूरती नहीं, सच्ची पहचावट को प्रदर्शित करती हूँ। ——जब आपकी आँखें पहली बार 'मुझे' देखती हैं, मैंने 'आप' को पहचा।